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वैज्ञानिकता और परंपराओं से भरा है फूलदेई

लोक पर्व फूलदेई फूलों के बहार के साथ ही नव वर्ष के आगमन का भी प्रतीक है। कई दिनों तक इस त्योहार को मनाने के पीछे मनभावन वसंत के मौसम की शुरुआत भी मानी जाती है। सूर्य उगने से पहले फूल लाने की परंपरा है। इसके पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है, क्योंकि सूर्य निकलने पर भंवरे फूलों पर मंडराने लगते हैं, जिसके बाद परागण एक फूल से दूसरे फूल में पहुंच जाते हैं और बीज बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

पीजी कालेज गापेश्वर के वनस्पति विज्ञान के प्रवक्ता डा. विनय नौटियाल का कहना है कि पौधों से अच्छी पैदावार और उन्नत किस्म के बीज प्राप्त करने के लिए जीवित्ता के संघर्ष को कम करना जरूरी होता है, जिसकी सटीक तकनीक है कि कुछ फूलों को पौधों से अलग कर दिया जाए। फूलदेही का त्योहार इसका एक प्रायोगिक उदाहरण है। फूलदेई का त्योहार खुशी मनाने के साथ ही प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही वसंत के इस मौसम में हर तरफ फूल खिले होते हैं, फूलों से ही नए जीवन का सृजन होता है। चारों तरफ फैली इस वासंती बयार को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

 

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