मिलीभगत या लापरवाही: बढ़ारणा इण्डस्ट्रीज एरिया में रीको की अवाप्त 100 करोड़ की जमीन होगी खातेदार के नाम
रेवेन्यू बोर्ड ने खारिज किया 40 साल पुराना म्यूटेशन , नए लोगों के नाम खोलने का आदेश
Jaipur Now. जयपुर।
रीको के अधिकारियों की लापरवाही के कारण बढ़ारणा इण्डस्ट्रीज एरिया में स्थित 100 करोड़ की जमीन अब नए खातेदारों के नाम हो जाएगी। रेवेन्यू बोर्ड के आदेश के बाद रामपुरा डाबड़ी तहसीलदार ने इसकी प्रक्रिया शुरु कर दी है। रीको की अवाप्तशुदा जमीन पर बनी फैक्ट्रियों को भी उनके मालिकों को अब हटाना पड़ेगा। नया खातेदार ने म्युटेशन खुलने से पहले ही रीको व प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत कर जमाबंदी के अनुसार सड़क व रीको पार्क पर अपना कब्जा करने की तैयारी शुरु कर दी है। इसके लिए रीको की जमीन पर कब्जा करने के लिए मलबा, स्क्रेप डालने व ट्रक खड़े करने लगे है। जमाबंदी में अंकन होते ही यहां निर्माण किया जाएगा। बताया जा रहा है कि यह जमीन एक बड़े जमीन कारोबारी ने औने पौन दाम पर खरीदी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि विश्वकर्मा रीको कार्यालय के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल हुआ है। जबकि 24 साल पहले रीको कुछ जमीन (खसरा नं. 857, 861, 862, 863, 865) अवाप्त कर चुका है। जिसके वर्तमान खसरा नहीं रीको के खाता में 857/1, 861/1, 862/1, 863/1, 865/1 है। एक्सप्रेस हाइवे पर स्थित इस जमीन की बाजार कीमत 100 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। वर्तमान में रेवेन्यू बोर्ड चैयरमैन राजेश्वर सिंह तथा वे इस महीने के अंत में IAS से रिटायर हो रहे है।
यह है रेवेन्यू बोर्ड का आदेश :
रेवेन्यू बोर्ड सदस्य अविनाश चौधरी की बैंच ने 14 जून 2024 को प्रकरण संख्या निगरानी/एलआर/2021/4322/ जयपुर रामपाल बनाम भोलाराम को लेकर आदेश दिया। आदेश में रेवेन्यू बोर्ड सदस्य अविनाश चौधरी ने मई 1981 में हरमाड़ा पटवार हलका के बढ़ारणा गांव की जमीन का आमेर तहसीलदार द्वारा खोले म्यूटेशन संख्या 56 को निरस्त कर दिया। बोर्ड ने म्यूटेशन संख्या 56 से जुड़े तीन जमाबंदी खाता के विरासत म्यूटेशन प्रभाती देवी के वारिशों के नाम खोलने का आदेश दिया है। इसमें से एक जमीन 24 साल पहले रीको अवाप्त कर चुका है। रीको ने पुरानी खाता 62 व नया खाता 78 के खसरा नं. 857, 861, 862, 863, 865 की जमीन 2002 में अवाप्त कर खातेदारों को मुआवजा दे दया था। अब यहां फैक्ट्रियां बन गई है। लेकिन रेवेन्यू बोर्ड की ओर से रीको को नोटिस ही नहीं दिया गया और तीन साल में रीको का पक्ष भी नहीं सुना।
रेवेन्यू बोर्ड सदस्य अविनाश चौधरी ने अपने आदेश में एडीएम-तृतीय कोर्ट के मार्च 2020 के और संभागीय आयुक्त कोर्ट के अगस्त 2021 में दिए आदेश को भी अपास्त कर दिया।
24 साल पहले अवाप्त हुई थी जमीन :
उद्योग विभाग ने विश्वकर्मा इण्डस्ट्रीज एरिया व एक्सप्रेस हाइवे के मध्य स्थित बढ़ारणा राजस्व गांव के खसरा नं. 857, 861, 862, 863, 865 सहित 147 बीघा जमीन अवाप्त करने के लिए जून 1996 में नोटिफिकेश जारी किया। इसके बाद 2000 तक चली प्रक्रिया में 127 बीघा जमीन का अवार्ड करते हुए काश्तकारों को मुआवजा दे दिया। इस भूमि पर बढ़ारणा इण्डस्ट्रीज एरिया डवलप कर रीको ने उद्योगपतियों को जमीन देदी तथा यहां पर फैक्ट्रियां बन गई। कुछ जमीन ग्रीन एरिया के नाम पर खाली छोड़ दी गई।